भूतिया ट्रेन की आखिरी सवारी
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रात के दो बजे थे, जब रवि ने रेलवे स्टेशन पर कदम रखा। वो आखिरी ट्रेन पकड़ने जा रहा था, जिसे लोग 'भूतिया ट्रेन' कहते थे। उसकी रूह कंपकंपा उठी, पर हिम्मत करके वो ट्रेन में सवार हो गया। ट्रेन के डिब्बे खाली थे, सिवाय एक बुजुर्ग आदमी के, जो एक कोने में बैठा था।ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी, और अचानक बिजली चली गई। अंधेरे में रवि ने किसी के सिसकने की आवाज़ सुनी। उसने बुजुर्ग की तरफ देखा, लेकिन वह गायब था!पीछे मुड़कर देखा तो उसकी सीट पर वही बुजुर्ग खून से लथपथ बैठा था। रवि चीखते हुए उठ खड़ा हुआ, तभी ट्रेन रुक गई। बाहर देखा तो वो स्टेशन वही था—जहां से उसने यात्रा शुरू की थी, लेकिन अब वहां सिर्फ कब्रें थीं!