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Mohammad Sharik
पानी की देवी को उस पर दया आ जाती है और पानी की देवी उस गरीब, मेहनती लकड़हारे की मदद व सहयोग करने की पेशकश करती है।फिर क्या था वह नदी की देवी उसकी मदद के लिए एकदम से गायब हो गई और नदी के अंदर से एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट होती है और उस गरीब लकड़हारे से पुछती है कि क्या यह सोने की कुल्हाड़ी उसकी है ?लकड़हारा इस पर उत्तर देते हुए कहता है कि नहीं! मैं तो गरीब आदमी हूँ इसलिए यह मेरे नहीं है। तब फिर एक बार फिर नदी की देवी पानी के अंदर जाती है और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस लैटती है। लेकिन वह आदमी इस बार भी कहता है यह मेरी नहीं है।