विश्वास और इंतज़ार की एक सच्ची प्रेम कथा
dhruv_etwf
सुबह से हो रही हल्की हल्की बूँदा बाँदी ने तेज बारिश का रूप ले लिया था। बारिश की आवाज से शेखर की नींद खुल गयी। कुछ देर वो बिस्तर पर यूँ ही अलसाया सा लेटा रहा। थोड़ी देर बाद उठा, उसने किचन में जाकर काॅफी बनाई और काॅफी का मग लेकर बाहर बाल्कनी में आ गया। वो बाल्कनी में बैठकर दूर पहाड़ियों पर उतरे बादलों को देख रहा था। ऐसा लग रहा था कि बादलों ने उन पहाड़ियों पर अपना घर बना लिया हो। नीचे बारिश हो रही थी। हवा भी तेज चल रही थी। हवा के झोंके रह रह कर शेखर के बालों को बिखेर रहे थे। वो मंत्र मुग्ध सा बादलों को नीचे उतरे देख रहा था। प्रकृति के वो नजारे और बारिश का शोर, शेखर के अंदर एक हलचल मचा रहा था। कल