Do dost aur dosti ki misal ki kahani
punam kandyar
चलो, मोहन! हम अलग-अलग दिशा में चलते हैं। मैं तुम्हारे लिए एक तोहफा लाऊँगा, राहुल ने कहा, उसकी आँखों में उत्साह झलक रहा था।मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, हाँ, और मैं तुम्हारे लिए भी कुछ खास खरीदूँगा।मेले में पहुँचकर दोनों ने अपनी राहें अलग कर लीं। राहुल ने झूलों की ओर देखते हुए सोचा, मोहन को समय का बहुत ख्याल रहता है। उसे घड़ी बहुत पसंद है। तभी उसकी नज़र एक दुकान पर पड़ी, जहाँ सुंदर-सुंदर घड़ियाँ टंगी हुई थीं। उसने तुरंत अपनी सारी बचत निकालकर एक घड़ी खरीद ली।दूसरी ओर, मोहन ने एक पेन देखा। उसने सोचा, राहुल को लिखने का बहुत शौक है। यह पेन उसके लिए एकदम सही होगा।