यह कविता भी बहुत प्यारी और मनमोहक है!
Shivam Yadav_xfay
जंगल में था मेला प्यारा,जानवरों का लगा था नज़ारा।हाथी आया झूम-झूमकर,सूंड हिलाई घूम-घूमकर।बंदर उछल रहा था डालों पर,उल्लू बैठा पेड़ की डालों पर।मोर ने पंख फैलाए सुंदर,हिरण दौड़ा जैसे कोई चमकता ख़ंजर।कछुआ धीरे-धीरे चलता,चिड़िया गाती थी मीठी धुन सुनता।बिल्ली चुपके-चुपके आई,गिलहरी ने उसे खूब दौड़ाई।सब जानवर खेल में मस्त,जंगल में था बड़ा ही धूमधड़ाका दस्त।मिल-जुलकर सबने मज़ा उठाया,नन्हे दोस्तों को खुशी से नाचाया!