राजा के ईमानदार नौकर की कहानी
Lem Kumari
सब आचार्य में थे, और रामू खुद भी चकित था। राजा ने कहा, “रामू ने अपने काम में कभी भी लालच नहीं दिखाया। उसने अपनी पूरी निष्ठा से काम किया, बिना किसी आशा के। ये सच्ची सेवा का निशान है।”राजा ने रामू को अपने सबसे अनमोल खज़ाने का राज़ बताया, जो था - सेवा और ईमानदारी का मोल दौलत से कहीं ज्यादा है। जो बिना लालच के काम करता है, वही सच्चा नौकर और सच्चा मैंरामू ने राजा का धन्यवाद किया और कहा, “महाराज, मैं सिर्फ अपनी फर्ज निभा रहा था, और यही मेरी असली दौलत है।”राजा ने रामू को अपना सबसे बड़ा मित्र और महल का प्रमुख बना दिया।