Krishna
Rahul Manjhi
जय श्री कृष्णा मित्रों,आप सब जानते हैं कि जीवन में संतान का होना कितना आवश्यक है। बिना संतान के जीवन शून्य और दुखमय सा लगता है। ऐसे कौन से पापों के कारण हमें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती, आज हम इस पौराणिक कथा के माध्यम से जानेंगे किन स्त्रियों के भाग्य में पुत्र की प्राप्ति नहीं लिखी होती। एक बार द्वारका नगरी में भगवान कृष्ण और रानी रुक्मिणी अपने शयन कक्ष में आराम कर रहे थे, तभी वहां अचानक से देवर्षि नारद जी पहुंच जाते हैं। फिर नारद जी द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी को प्रणाम करते हैं। भगवान कृष्ण नारद जी का अभिवादन स्वीकार करते हैं और पूछते हैं