ख़्वाबों का सफर
D K S Dudhara
ख़्वाबों की दुनिया, अनजानी राह,चाँद से बातें, तारों की चाह।हर मोड़ पर मिले, एक नया उजाला,मन की उड़ान, नहीं कोई ठिकाना।हवाओं के संग, चलते हैं हम,दिल में छुपे हैं, अनगिनत ग़म।पर उम्मीद की लौ, बुझने न पाए,सपनों के रंग, फीके न हो जाएं।रात के अंधेरे में, चमके कोई सितारा,जीवन की किताब में, लिखे नया फसाना।चलते रहो तुम, मंज़िल है पास,ख़्वाबों के सफर में, न हो कोई निराश।